हरियाणा न्यूज: मोदी सरकार 2 ने अपने दूसरे कार्यकाल में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा को समाप्त करने से संबंधित विधेयक को शुक्रवार को लोकसभा में अपने पहले विधेयक के रूप में पेश किया। जिसकी कार्यवाही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बाद शुरू हुई। कार्यकाल खत्म होने के साथ ही पुराना बिल रद्द हो गया और बिल को दोबारा पेश किया गया।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने पिछली सरकार में इस बिल को लोकसभा से पारित किया था लेकिन राज्यसभा में यह बिल पेंडिंग रह गया था। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रक्रियाओं के अनुसार हम बिल को फिर से लेकर आए हैं। जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है और कोई लोकसभा को अदालत न बनाए।
ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के खिलाफ है उन्होंने कहा कि इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी, सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी क्यों है, केरल की हिन्दू महिलाओं की चिंता सरकार क्यों नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया है। इस बिल के बाद जो पति जेल जाएंगे तो महिलाओं का खर्चा क्या सरकार देने के लिए तैयार है।
तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तर्क रखते हुए बिल का विरोध किया और कहा कि यह समुदाय के आधार पर भेदभाव करता है। थरूर ने कहा, ‘मैं तीन तलाक का विरोध नहीं करता लेकिन इस बिल का विरोध कर रहा हूं। तीन तलाक को आपराधिक बनाने का विरोध करता हूं। मुस्लिम समुदाय ही क्यों, किसी भी समुदाय की महिला को अगर पति छोड़ता है तो उसे आपराधिक क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए। सिर्फ मुस्लिम पतियों को सजा के दायरे में लाना गलत है। यह समुदाय के आधार पर भेदभाव है जो संविधान के खिलाफ है।’