हरियाणा न्यूज़: हरियाणा में वर्ष 2019 में कुछ महीनों के अंतर पर दो चुनाव हुए, लेकिन सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए दोनों के परिणाम में जमीन-आसमान का अंतर रहा। मई में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत प्राप्त हुई थी। उसने राज्य के सभी 10 संसदीय सीटें हासिल की, लेकिन अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में वह अपने दम पर बहुमत भी प्राप्त नहीं कर पाई।
किंगमेकर के रूप में उभरे दुष्यंत चौटाला
विधानसभा में बीजेपी ने 90 में से 75 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। लक्ष्य तो हासिल नहीं हुआ, अलबत्ता हरियाणा के आठ मंत्रियों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। चुनाव में जननायक जनता दल (जेजेपी) के दुष्यंत चौटाला किंगमेकर के रूप में उभरे। जेजेपी के साथ चुनाव बाद गठबंधन करके बीजेपी ने दोबारा मनोहर लाल की सरकार बनाई। चुनाव परिणामों के लिहाज से कांग्रेस के लिए भी यह साल मिला जुला रहा।
लोकसभा में हार के बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राहत
पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्य इकाई के प्रमुख अशोक तंवर और तीन बार के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा लोकसभा चुनाव हार गए, लेकिन विधानसभा चुनाव का परिणाम कांग्रेस के लिए राहत लाया। 31 सीट जीत कर कांग्रेस दूसरे सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। इससे पहले उसके पास महज 17 सीट थी।
हुड्डा के खिलाफ आरोप पत्र दायर
इस साल भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ पंचकुला में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को भूमि आवंटन में कथित अनियमितता को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप पत्र दाखिल किया। इसमें हुड्डा और मोतीलाल वोरा का नाम था।
फिर चर्चा में आए अशोक खेमका
खिलाड़ियों को सम्मानित करने वाले राज्य स्तरीय एक कार्यक्रम को आयोजित नहीं करने का फैसला लेकर मनोहर लाल सरकार ने उनकी नाराजगी मोल ली। मनोहर सरकार ने गीता महोत्सव का भी आयोजन किया। इस साल वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका भी खबरों में रहे। नवंबर में उनका 53वां ट्रांसफर हुआ। इससे पहले इसी साल करीब 8 महीने पहले मार्च में ट्रांसफर किया गया था।