किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा में राजनीतिक गहमा-गहमी का माहौल देखने को मिल रहा है। वहीं बीजेपी की सहयोगी दुष्यंत चौटाला की JJP में भी कृषि कानूनों को लेकर हरियाणा में सरकार से अलग होने की मांग तेज होने लगी है। साथ ही डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने हाल ही में इस मुद्दे पर विधायकों के साथ बैठक की।
बता दें कि बैठक में पार्टी विधायकों से किसान आंदोलन का उनके क्षेत्र में असर, राज्यों को लोगों के रुख आदि के बारे में फीडबैक लिया गया। खास बात है कि दुष्यंत की पार्टी के पास केवल 10 विधायक ही हैं। लेकिन फिर भी हरियाणा की सत्ता को बनाने-बिगाड़ने की स्थिति में हैं।

दरअसल, हरियाणा में 2019 में विधानसभा चुनाव में वोटरों ने किसी भी दल को बहुमत नहीं दिया। BJP बहुमत से कुछ सीटें पीछे रह गई थी। तब दुष्यंत के नेतृत्व वाली JJP ने BJP को समर्थन दिया था और राज्य में खट्टर सरकार की वापसी हुई थी। फिलहाल 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में सत्ताधारी बीजेपी 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी है। कांग्रेस के पास 31 सीटें हैं। वहीं JJP 10 सीटों पर जीत रही थी। इसके अलावा हरियाणा लोकहित पार्टी 1, INDL 1 और 7 सीटें अन्य के खाते में गई थीं।
अब JJP के BJP से समर्थन वापस लेने की स्थिति में BJP के पास 40 विधायक ही रहेंगे। सत्ता के लिए जरूरी 45 की संख्या पूरी करने के लिए BJP अन्य निर्दलीय विधायकों में संभावना तलाश सकती है। वहीं कांग्रेस भी JJP को अपने खेमे में मिलाकर अन्य विधायकों के साथ पिछले साल के अधूरे प्रयास को पूरा करने के लिए दांवपेच का इस्तेमाल करेगी।